Tuesday, July 21, 2015

भूमि संरक्षण

भूमि संरक्षण

पर्वतीय क्षेत्र मे भूक्षरण मुख्यतः वर्षा के जल के बहाव के कारण होता है। अधिक ढालू भूमि से भूक्षरण भी अधिक होता है। भूक्षरण का मुख्य कारण वर्षा के जल के बहाव की गति अधिक होना है। जैसे -जैसे ढाल की मात्रा तथा ढालदार मात्रा बढे़गी, जल बहाव की गति बढेगी, जिसके कारण भूक्षरण बढे़गा। अतः खेती योग्य या अन्य भूमि मे भूमि संरक्षण की विधियाँ अपनाने के लिये मुख्य सिद्धान्त है कि भूमि का ढलान तथा ढालदार लम्बाई को कम रखा जाये ताकि वर्षा जल की गति नियंत्रित रहे। सीढीदार खेतों की उचित बनावट तथा अन्य भूमि संरक्षण की विधियाँ इसी आधार पर बनी है। ऊपरी पर्वतीय क्षेत्र मे बने खेतों की बनावट ऐसी हो गयी है कि पानी बिना रुकावट के खेतों के उपर एक के बाद एक कई खेतों से होकर बह जाता है जिसके कारण भूक्षरण बढ़ता रहता है। धीरे-धीरे ऐसे खेतों का ढाल बहार की ओर अधिक हो गया है तथा भूमि संरक्षण की विधियाँ न अपनाने के कारण भूक्षरण की प्रक्रिया बढ़ती ही जा रही है तथा फसलोत्पादन कम हो रहा है।

ढालू सीढीदार खेतों की बनावट मे सुधार हेतु सबसे आसान तरीका है कि इन खेतों की लम्बाई के अनुरूप भीतरी भाग से मिट्टी काटकर बाहरी किनारों पर ढाल के अनुसार लगभग एक फुट ऊंची मेड़ बना दी जाये जिससे वर्षा का पानी खेत मे रूके तथा खेत की लम्बाई की तरफ से होकर बहे। ऐसा करने से वर्षा का पानी भूमि मे अधिक मात्रा मे सोखा जायेगा तथा धीरे- धीरे ऊपरी भाग से मिट्टी खेत स्वतः ही समतल हो जायेगा। यह विधि सस्ती व आसान है जिसे प्रत्येक किसान अपने खेत में कर सकता है।

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